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बुधवार, सितंबर 16, 2020
मुहब्बत के ज़ख़्मों का, पूछो न हिसाब मुझसे
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मुहब्बत के ज़ख़्मों का, पूछो न हिसाब मुझसे रुक न पाएगा, फिर यादों का सैलाब मुझसे । पहले छीना था हमसे, प्यार जिस ज़ालिम ने वो सितमगर, अब छीन र...
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बुधवार, मार्च 18, 2020
काग़ज़ के खेत
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ग़म बोकर सींचा आँसुओं से कहकहों से सींची ख़ुशियों की क्यारी पकी जब खेती शब्द उगे नज्म, ग़ज़ल, गीत बनकर बीज थे जुदा-जुदा पर ...
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बुधवार, मार्च 11, 2020
ज़िंदगी
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जीवन उथले पानी में बीता है जीवन सारा और अक्सर हमने बात की है गोताखोरी की **** ज़िंदगी – 1 पक्षियों का क...
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बुधवार, फ़रवरी 26, 2020
कविता
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पानी भरे खेतों में धान रोपते किसान फैक्ट्रियों में उत्पाद तैयार करते मज़दूर अट्टालिकाएँ बनाते राजमिस्त्री ...
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बुधवार, फ़रवरी 19, 2020
ये ज़रूरी तो नहीं
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"ये ज़रूरी तो नहीं" मेरी110 ग़ज़लनुमा कविताओं का संग्रह है, जिन्हें आप ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं और ebook के रूप में भी | दोनों के ...
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