बुधवार, जुलाई 27, 2011
हाइकु गीत
स्थान:
Sirsa, हरियाणा, भारत
शुक्रवार, जुलाई 22, 2011
अगज़ल - 22
नामुराद इश्क में जब से चोट खाई है मैंने
अपनी हस्ती रोज़ आग में जलाई है मैंने |
लगती तो है वफा करेगी, मगर करती नहीं
अपनी किस्मत कई दफा आजमाई है मैंने |
दुनिया के बाज़ार में बिका नही बस इतना किया
मैं नहीं कहता , वफा की रस्म निभाई है मैंने |
मरहम नहीं दे सकते तो न सही , दाद तो दो
अपने जख्मों की नुमाइश लगाई है मैंने |
ये बात और है तश्नगी बुझ न पाई इसकी
प्यासे दिल को अश्कों की मै पिलाई है मैंने |
वही दिलो-दिमाग पर हावी हुई वक्त-बेवक्त
सोचा था ' विर्क ' जो सूरत भुलाई है मैंने |
दिलबाग विर्क
* * * * *
स्थान:
Sirsa, हरियाणा, भारत
शुक्रवार, जुलाई 15, 2011
तांका - 1
लेबल:
तांका
स्थान:
Sirsa, हरियाणा, भारत
रविवार, जुलाई 10, 2011
गीत
हो गया हूँ मैं पागल
या पागल हुआ
मेरा अहसास है .
खेला था तू संग मेरे
रह गए तेरे चाव अधूरे
मेरी रूह चली साथ तेरे
पीछे रह गया है जो
वो साया उदास है .
शिकवा किससे करें
तेरे साथ भी कैसे मरें
कैसे हम हौंसला धरें
छूट गई है डोर
न बची कोई आस है .
माना जग नश्वर है
पर ये बात बेअसर है
अपना जाए जब मर है
सजी हुई है महफिल यहाँ
तू न मेरे पास है .
हो गया हूँ मैं पागल
या पागल हुआ
मेरा अहसास है .
* * * * *
चचेरी बहन के निधन पर
पंजाबी से अनुदित ,
मूल रचना ਸੰਦਲੀ ਪੈੜ੍ਹਾਂ पर
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