आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-02-2020) को "भारत में जनतन्त्र" (चर्चा अंक -3609) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
9 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया क्षणिका है!
दुःख-सुख...आशा-निराशा...अपने हाथ है...
एक पुराना गीत याद आ रहा है...
सुख-दुःख की क्या बात है...
क्या दिन है क्या रात है...
आंसू भी मुस्कान बने...
ये तो अपने हाथ है...
बहुत सुन्दर ...
अच्छे भाव.
दूसरा तो परफेक्ट तांका है....
बधाई.
आशा का वृक्ष .... सूखने न पाए सुंदर प्रस्तुति
आशा जीवन की मुस्कान है..इसे मिटने न दें..सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,....
सही चुनाव से जी जीवन को राह मिलती हैं
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-02-2020) को "भारत में जनतन्त्र" (चर्चा अंक -3609) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर रचना
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