निवेदन - कृपया इसे कुंडलिया छंद के मापदंड पर न परखें, इसे सिर्फ षटपदीय समझें
औरत क्यों सुरक्षित नहीं, आज भी घर बाहर
बाहर दरिन्दे लूटते, घर में अपनों का डर ।
घर में अपनों का डर, कहीं जला न दे कोई
दहेज़ दानव हुआ, ये कैसी किस्मत हुई ।
भ्रूण-हत्या, बलात्कार, विर्क हो रहे यहाँ नित्त
उपर से दुःख यही , औरत को सताए औरत ।
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9 टिप्पणियां:
चिन्ता ज़रूरी है..
क़दम भी उठाने होंगे जी
वर्तमान परिदृश्य पर सटीक प्रस्तुति | सुंदर |
सटीक प्रस्तुति
औरत क्यों सुरक्षित नहीं, आज भी घर बाहर
बाहर दरिन्दे लूटते, घर में अपनों का डर ।
घर में अपनों का डर, कहीं जला न दे कोई
दहेज़ दानव हुआ, ये कैसी किस्मत हुई ।
भ्रूण-हत्या, बलात्कार, विर्क हो रहे यहाँ नित्त
उपर से दुःख यही , औरत को सताए औरत ।
प्रासंगिक अर्थ पूर्ण रचना हमारे वक्त से मुखातिब .
ram ram bhai
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बृहस्पतिवार, 20 दिसम्बर 2012
Rapist not mentally ill ,feel they can get away'
'Rapist not mentally ill ,feel they can get away'
माहिरों के अनुसार बलात्कारी शातिर बदमॉस होतें हैं जो सोचते हैं उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है वह साफ़
बच
निकलेंगें .इस नपुंसक व्यवस्था के हाथ उस तक नहीं पहुँच सकते
.http://veerubhai1947.blogspot.in/
तस्दीक की जानी चाहिए यह बात कि बलात्कार एक इरादतन अदबदाकर किया गया हिंसात्मक व्यवहार है
छः पंक्तियों में आपने औरत तन-मन के ज़ख़्मों का चित्रण कर दिया...
-कम शब्दों में खरी बात !
~सादर!!!
विर्क जी इस दिल्ली वाले हादसे ने बहुत कुछ सोचने पे मजबूर किया है
औरत की त्रासदी के किन किन कारणों का बखान करें अंतहीन ,अनगिन ,असहनीय
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एकदम सटीक रचना...
एक एक शब्द सही है...
उपर से दुःख यही , औरत को सताए औरत ।
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