बुधवार, अगस्त 28, 2013

पागल दिल मेरा

इसको तेरे बिन कुछ भी दिखता कब है
पागल दिल मेरा, मेरी सुनता कब है ।

कोई शख्स हसीं इसको बहका न सका
ये दिल अब और किसी को चुनता कब है ।

टूटेगा आखिर, इंसां का हश्र यही
कोई मिट्टी का पुतला बचता कब है ।

ये आशिक तेरे दर पर मरना चाहे
काबा माने बैठा है, उठता कब है ।

बस तुझको पाना ही है मकसद मेरा
बिन इसके दिल और दुआ करता कब है ।

'विर्क' भले अपना मिलना लगता मुश्किल
पर उम्मीदों का सूरज ढलता कब है ।

दिलबाग विर्क

बुधवार, अगस्त 21, 2013

दिल छोटा-सा बच्चा है शायद

सुन मीठे बोल बिका है शायद
दिल छोटा-सा बच्चा है शायद ।

दाद मिली है लोगों से मुझको
मैंने कुछ झूठ कहा है शायद ।

हर आहट चौंका देती हमको
हम सबमें चोर छुपा है शायद ।

मेरा दिल फिर बेचैन हुआ है
तूने मुझको सोचा है शायद ।

कहती है आज चमक आँखों की
कोई इंसान दिखा है शायद ।

दिल टूटे तो शोर नहीं होता
कोई शीशा टूटा है शायद ।

बहका देता इश्क जिसे भी हो
' विर्क ' तुझे भी रोग लगा है शायद ।

दिलबाग विर्क 

बुधवार, अगस्त 07, 2013

मुझे अपनी बात कहनी है

गुनाहों की दास्तां बन चुकी है खबर भी
शर्मिंदगी से जमीं में गड़ रही नजर भी । 

हालात बदलने की कोशिश तो करें हम   
इस चुप्पी से रोएगी धरा भी, अब्र भी ।

सच कहना है मुझे बुलंद आवाज में
इसके लिए मंजूर है मुझको जहर भी ।

कत्ल आदमियत का रोज कर रहे हैं लोग
शामिल हैं इसमें सब, गाँव भी, शहर भी ।

फैसले का इंतजार तुम्हें क्योंकर है
मुजरिम के हक में है मुंसिफ भी, सद्र भी ।

मुझे अपनी बात कहनी है हर हाल में
बह्र में भी कहता हूँ ' विर्क ' बेबह्र भी ।
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शुक्रवार, अगस्त 02, 2013

फैले मुहब्बत करो ये दुआ

दर्द देगी यहाँ साफगोई सदा 
सीख लो बात को तुम घुमाना जरा |

तुम गलत मानते, ये बात और है 
जो लगा ठीक मुझको वही तो कहा |

है वहीं, ढूँढना आदमी में उसे 
आदमी से जुदा कब हुआ है खुदा |

चाहिए उम्र इसको, न आसान ये 
एक दिन में नहीं पनपता फलसफा |

खूबसूरत बनेगा इसी से जहां 
' विर्क ' फैले मुहब्बत करो ये दुआ |

दिलबाग विर्क 
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गुरुवार, अगस्त 01, 2013

तहजीब

साफ दिल है और सीधी बात करता हूँ
मुझे तेरे शहर की तहजीब नहीं आती ।

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