" मीतु-रीतू आए नहीं ? " - सीमा ने अपने पति सुरेश से पूछा |
' नहीं, वे नहीं आएँगे , दीदी को अचानक दिल्ली जाना पड़ गया | ' - सुरेश ने कहा |
" चलो अच्छा है, आते तो कम-से-कम हजार की चपत तो जरूर लग जाती | " - सीमा ने कुछ सोचते हुए कहा |
' हाँ, ये तो है | महँगाई बहुत है | '- सुरेश ने कुछ असहज होते हुए कहा | सीमा से वह असहमत हो ऐसा नहीं, लेकिन जिन्दगी की तराज़ू पर रिश्तों का दौलत से हल्का होना उसे अखर गया था |
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3 टिप्पणियां:
सच है पर सच को झुठलाया भी तो नहीं जा सकता ...
सुन्दर कटाक्ष
वाकई....कई बार रिश्ते से ज्यादा पैसों को अहमियत दी जाती है....बहुत अच्छा लिखा
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