भँवरे गुनगुनाने लगे, आई बहार है ।
हर पल मुस्करा रहा
नया तराना गा रहा
जीवन बेल पर देख
ये खुशियाँ सजा रहा
झूम उठा है तन-मन, छाया खुमार है ।
खुशनुमा मौसम हुआ
ज़िन्दगी का लो मजा
साकार हुई लगती
इक खूबसूरत दुआ
नाचो, जश्न मनाओ तुम, मिला उपहार है ।
संदेश ऋतुराज का
विर्क सुना रही धरा
उठा ले कलम अपनी
इसको तू भी फैला
दिल से दिल तक फैला, प्यार ही प्यार है ।
दिलबाग विर्क
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2 टिप्पणियां:
ऋतुराज बसन्त के सुआगमन का सुन्दर चित्रण ...
हार्दिक शुभकामना!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वसंत पंचमी
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