अगर मुहब्बत की राह पर चला करें
तो रफ़्ता-रफ़्ता मंज़िल की ओर बढ़ा करें ।
दग़ाबाज़ी हमारी हमें ले डूबेगी
अभी भी वक़्त है, संभल जाएँ, वफ़ा करें ।
ज़िंदगी का दूसरा रुख दिखाई देगा
ठंडे दिमाग से दूसरों की सुना करें ।
हालातों की ख़स्तगी कम होती नहीं
आओ यारो मिलकर कोई दुआ करें ।
दुश्वारियाँ रास्ते की आसां हो जाएँ
काश ! हम तूफ़ानों की सूरत उठा करें ।
जिसे चाहे बस उसी को ख़ुदा माने
बता इस दिल दीवाने का क्या करें ।
देखना ' विर्क ' कहीं नासूर न बन जाएँ
इन मुहब्बत के जख़्मों की दवा करें ।
दिलबाग विर्क
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " से
5 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा अहसास...ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति..
बहुत सुन्दर
हक़–ओ-इन्साफ़
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
शानदार गज़ल
ज़िंदगी का दूसरा रुख दिखाई देगा
ठंडे दिमाग से दूसरों की सुना करें ।
सुन्दर
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