बुधवार, मई 06, 2015

शतरंज की बिसात

काबू में रखे न गए मुझसे अपने जज़्बात 
मैं बन गया लोगों के लिए शतरंज की बिसात । 

दिल के आसमां पर घिरे हैं ग़म के बादल 
हो उदासी की उमस, कभी अश्कों की बरसात । 

मेरा बोलना क्यों इतना बुरा हो गया है 
क्यों तकरार का मुद्दा बन जाती हर बात । 

मुक़द्दर से शिकवा करने के सिवा क्या करें 
हमारी कोशिशें भी जब बदल न पाई हालात । 

टूटे दिल के लिए बे'मानी हैं ये सब बातें 
कितना रौशन है दिन, कितनी अँधेरी है रात । 

खुशियाँ ' विर्क ' कैसे नसीब होती मुझको 
ज़िंदगी ने दी है परेशानियों की सौग़ात । 

दिलबाग विर्क 
*****
मेरे और कृष्ण कायत द्वारा संपादित " सतरंगे जज़्बात " में से 

9 टिप्‍पणियां:

Malhotra vimmi ने कहा…

वाह
बहुत खुब
टूटे दिल के लिए बे'मानी हैं ये सब बातें
कितना रौशन है दिन, कितनी अँधेरी है रात ।

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत खुबसूरत

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत खुबसूरत

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत खुबसूरत

कविता रावत ने कहा…

बहुत खूब!
जिंदगी में परेशानियां ही बहुत कुछ सिखा लेती हैं हमको ...

Sanju ने कहा…

Very nice post ...
Welcome to my blog.

रश्मि शर्मा ने कहा…

टूटे दिल के लिए बे'मानी हैं ये सब बातें
कितना रौशन है दिन, कितनी अँधेरी है रात ।
हर शेर लाजवाब है

कहकशां खान ने कहा…

बहुत ही शानदार रचना।

Tayal meet Kavita sansar ने कहा…

मेरा बोलना क्यों इतना बुरा हो गया है
क्यों तकरार का मुद्दा बन जाती हर बात ।

bahut khoob

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