मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन
सच का तराना गाए सदा, धड़कन की धुन ।
आँसुओं में लय-ताल है
हँसी का भी संगीत है
ग़म मिले या फिर ख़ुशी
गाया सदा गीत है
जज़्बात होंगे, न हों भले बह्र के रुकुन
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन ।
तू जीत पर रख नज़र
हार से मत हारना
ज़िंदगी का ले मज़ा
नहीं ख़ुद को मारना
काँटों की चुभन सह ले, और फूल चुन
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन ।
बीते पल न लौटते
बीता वक़्त भूल जा
तू कर शुरुआत नई
लेकर इरादा नया
सोच बात नई उड़ान की, नए ख्बाव बुन
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन ।
दिलबाग विर्क
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " से
5 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 14 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बीते पल न लौटते
बीता वक़्त भूल जा
तू कर शुरुआत नई
लेकर इरादा नया
सुंदर पंक्तियां।
वाह बढ़िया !
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......
बहुत अच्छा लिखा है आपने !
हिंदीकुंज.कॉम
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