बुधवार, फ़रवरी 24, 2016

शब्द-बाण

कमान से छूटा तीर 
बेध पाता है 
एक ही छाती 

जुबान से निकले शब्द 
बेध सकते हैं 
अनेक हृदय 

तीर घायल करता है 
बस एक बार 
शब्द चुभते रहते हैं 
उम्र भर 
शब्दों की गूँज 
सुनाई देती है 
रह रहकर 

बेशक 
  अर्थ का अनर्थ संभव है 
सुनने वाले के द्वारा 
मगर सतर्कता ज़रूरी है
शब्द-बाण छोड़ने से पहले 
क्योंकि अनर्थ का धुआँ 
उठेगा तभी 
जब शब्दों की आग होगी । 

******
दिलबागसिंह विर्क 
****** 

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें. और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
मदन मोहन सक्सेना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शब्द बाण बहुत दूर तक जाते हैं ...

Malhotra vimmi ने कहा…

भावनाओं को व्यक्त करती पंक्तियां
बेहद खूबसूरत

तीर घायल करता है

बस एक बार

शब्द चुभते रहते हैं

उम्र भर

शब्दों की गूँज

सुनाई देती है

रह रहकर


रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सही...बहुत सुंदर..यर्थाथ को सुंदर शब्‍द दि‍ए आपने।

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