बुधवार, अक्टूबर 26, 2016

कुछ हम बुरे, कुछ तुम बुरे

कुछ हम बुरे, कुछ तुम बुरे, कुछ यह जमाना बुरा 
शायद इसीलिए है यहाँ पर दिल लगाना बुरा | 

दुश्मनों की फेहरिस्त में लिख लिया मेरा नाम 
इसलिए अब लगे उनको मेरा मुस्कराना बुरा | 

तमाशबीन तो होते हैं लोग, गमख्वार नहीं 
हर किसी को अपना जख्मी दिल दुखाना बुरा | 

कहीं-न-कहीं उलझाए रखना है काम इसका 
न इसकी मानना, है ये दिल दीवाना बुरा | 

उम्मीदों का टूटना दिल से सहा नहीं जाता 
दोस्तों की दोस्ती को बार-बार आजमाना बुरा |

मेरे कहने से कब चीजों की अहमियत बदले 
मैं तो कहता हूँ ' विर्क ' मय बुरी, मैखाना बुरा | 

दिलबागसिंह विर्क 
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साँझा संग्रह - 100 क़दम
संपादक - अंजू चौधरी, मुकेश सिन्हा

बुधवार, अक्टूबर 19, 2016

चाँद देखता चाँद

प्रेम में पगा 
चाँद देखता चाँद 
मांगता दुआ |

व्रत का व्रत 
मजबूत रहेगी 
प्रीत की डोर |

व्रत चौथ का 
एक तपस्या ही है 
व्यर्थ क्यों जाए  ?

कुछ भी न हो 
भले ये आडम्बर 
प्रीत तो देखो !

देख रहा है 
सुहाग का उत्सव 
चौथ का चाँद |

दिलबागसिंह विर्क
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बुधवार, अक्टूबर 12, 2016

मैं इस बात को लेकर शर्मिंदा हूँ

लोग हों-न-हों, मैं इस बात को लेकर शर्मिंदा हूँ 
हैवानियत है जहाँ, मैं उस दौर का वाशिंदा हूँ | 

जमाने को बदल सकूं, ऐसी मेरी हैसियत नहीं 
खुद को बदलून कैसे, अपने उसूलों में बंधा हूँ | 

बस उसका वजूद ही दुश्मन है तीरगी का वरना 
आफताब कब कहे किसी को कि मैं ताबिंदा हूँ | 

खुदा ने तो लिखी थी परवाज मेरी किस्मत में 
वक्त ने काट दिए पर जिसके, मैं वो परिंदा हूँ |

बेबसी के दौर में जीने की तमन्ना तो नहीं मगर 
बुजदिली है ख़ुदकुशी ' विर्क ' बस इसलिए ज़िंदा हूँ | 

दिलबागसिंह विर्क 
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सांझा-संग्रह - 100 क़दम 
संपादक - अंजू चौधरी, मुकेश सिन्हा 

बुधवार, अक्टूबर 05, 2016

खुदा है तो खुदा बन

हमारी दुआओं का हो नहीं रहा कुछ असर 
खुदा है तो खुदा बन, क्यों बनता है पत्थर |

महौले-दहशत कब तक रहेगा जिंदगी में 
बड़ा बेचैन हैं दिल, बड़ी परेशान है नजर | 

देकर सब कुछ, अब छीन रही खुशियाँ 
ऐ तकदीर, तू मुझसे ऐसा मजाक न कर | 

यहाँ मैं रहूँ वो जगह सराए से कम नहीं 
कीमत वसूल रही है दौलत, छीनकर घर | 

दौरे-दहशत में अब सूझता कुछ भी नहीं 
किस राह चलूँ मैं, कौन-सा है मेरा सफर |

बेबसी का अहसास तो ' विर्क ' उनसे पूछो 
समेटते-समेटते गया जिनका सब कुछ बिखर | 

दिलबाग सिंह विर्क 
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सांझा संग्रह - 100 कदम  
प्रकाशक - हिन्द युग्म 
संपादक - अंजू चौधरी और मुकेश सिन्हा 

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