कुछ हम बुरे, कुछ तुम बुरे, कुछ यह जमाना बुरा
शायद इसीलिए है यहाँ पर दिल लगाना बुरा |
दुश्मनों की फेहरिस्त में लिख लिया मेरा नाम
इसलिए अब लगे उनको मेरा मुस्कराना बुरा |
तमाशबीन तो होते हैं लोग, गमख्वार नहीं
हर किसी को अपना जख्मी दिल दुखाना बुरा |
कहीं-न-कहीं उलझाए रखना है काम इसका
न इसकी मानना, है ये दिल दीवाना बुरा |
उम्मीदों का टूटना दिल से सहा नहीं जाता
दोस्तों की दोस्ती को बार-बार आजमाना बुरा |
मेरे कहने से कब चीजों की अहमियत बदले
मैं तो कहता हूँ ' विर्क ' मय बुरी, मैखाना बुरा |
दिलबागसिंह विर्क
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साँझा संग्रह - 100 क़दम
संपादक - अंजू चौधरी, मुकेश सिन्हा