बुधवार, मार्च 22, 2017

प्रपंच

राजनीति पर्याय है प्रपंचों का
लेकिन राजनैतिक प्रपंच
निंदनीय नहीं
श्लाघनीय होते हैं
क्योंकि वे रचे जाते हैं
धर्म 
जातिय अभिमान
और राष्ट्रीय गौरव की आड़ में

यकीन न हो तो 
पलट लेना इतिहास के पन्ने
पढ़ लेना 
किसी भी कूटनितिज्ञ का जीवन चरित्र ।

दिलबागसिंह विर्क 
*****

1 टिप्पणी:

Anita ने कहा…

राजनीति और कूटनीति का चोली दामन का साथ है..

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