राजनीति पर्याय है प्रपंचों का
लेकिन राजनैतिक प्रपंच
निंदनीय नहीं
श्लाघनीय होते हैं
क्योंकि वे रचे जाते हैं
धर्म
जातिय अभिमान
और राष्ट्रीय गौरव की आड़ में
यकीन न हो तो
पलट लेना इतिहास के पन्ने
पढ़ लेना
किसी भी कूटनितिज्ञ का जीवन चरित्र ।
दिलबागसिंह विर्क
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1 टिप्पणी:
राजनीति और कूटनीति का चोली दामन का साथ है..
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