इन आँखों को, कोई हसीं नज़ारा मिले न मिले
जीना तो है ही, जीने का सहारा मिले न मिले |
मौजें ही अब तय करेंगी सफ़ीने का मुक़द्दर
अब तो चल ही पड़े हैं, किनारा मिले न मिले |
जो मिला, जैसा मिला, उसी से तुम निभा लो यार
इस ख़ुदग़र्ज दुनिया में दोस्त प्यारा मिले न मिले |
दिल की कोयल को गा लेने दो पतझड़ में गीत
दौरे-दहशत में बहारों का इशारा मिले न मिले |
मैं वस्ल के दिनों को जीना चाहता हूँ शिद्दत से
क्या भरोसा ताउम्र साथ तुम्हारा मिले न मिले |
कोशिश करो, ज़िंदगी का फूल पूरा खिल जाए अभी
ये ख़ूबसूरत मौक़ा ‘ विर्क ’ दोबारा मिले न मिले |
दिलबागसिंह विर्क
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3 टिप्पणियां:
जो है उसी में खुश रहना.......!
बहुत सुंदर लिखा है सर ।
इन आँखों को, कोई हसीं नज़ारा मिले न मिले
जीना तो है ही, जीने का सहारा मिले न मिले।
सादर ।
सुंदर रचना
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