मेरे ख़्वाबों में तेरा चेहरा मुसकराता है अक्सर
ग़म पागल दिल पर हावी हो जाता है अक्सर।
सच को कब ज़रूरत पड़ी किन्हीं बैसाखियों की
जो झूठा होता है, वही बात बनाता है अक्सर ।
लाठी वाले जीतते रहे हैं यहाँ पर हर युग में
इतिहास का हर पन्ना यही क़िस्सा सुनाता है अक्सर।
भले ही दामन भरा हो ख़ुशियों से, मगर ये सच है
दर्द का लम्हा सबको अपने पास बुलाता है अक्सर।
जो हो चुके पत्थर वे क्या जाने अहमियत जज़्बातों की
दिल तो दिल है ‘विर्क’, रोता है, तड़पाता है अक्सर।
दिलबागसिंह विर्क
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