आँधी, तूफ़ां और सूरज की तल्ख़ियाँ झेलकर
देखो उसे, छाँव दे रहा है हमें जो शजर ।
नींव में डालनी पड़े हैं अक्सर ख़ुद की ख़ुशियाँ
मकां बना लोगे, बड़ा मुश्किल है बनाना घर ।
वक़्त तो लगता ही है, बीज को शजर होने में
अच्छे कामों का, देर बाद दिखाई दे असर ।
किसी को हक़ नहीं दूसरे पर हुकूमत का
जी ऐसे, न किसी को डरा, न किसी से डर।
मासूम होना कोई गुनाह तो नहीं, फिर भी
बदलते हुए हालातों पर भी, रख थोड़ी नज़र।
माना ‘विर्क’ तेरा पेशा है नसीहतें देना
मगर ख़ुद को सुधारने की भी कर फ़िक्र।
दिलबागसिंह विर्क
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5 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (12-01-2018) को "कुहरा चारों ओर" (चर्चा अंक-2846) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'शनिवार' १३ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
मासूम होना कोई गुनाह तो नहीं, फिर भी
बदलते हुए हालातों पर भी, रख थोड़ी नज़र।
माना ‘विर्क’ तेरा पेशा है नसीहतें देना
मगर ख़ुद को सुधारने की भी कर फ़िक्र।
जो मासूम और सीधे होते हैं वे दुनिया के झांसे नहीं समझ पाते. वे चाहे, तब भी बदल नहीं पाते. उन्हे हर कदम पर धोखा ही मिलता है.हर कोई उनकी मासूमियत का फायदा उठाता है. यथार्थवादी रचना.
अच्छी प्रस्तुति।
निमंत्रण पत्र :
मंज़िलें और भी हैं ,
आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
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