बुधवार, सितंबर 19, 2018

अनोखा अंदाज़े-बयां है उनके पास

घटा से गेसू, सुर्ख़ लब, नज़र कमां है उनके पास 
देखो तो मेरी मौत का सारा सामां है उनके पास। 

ताबिशे-आफ़ताब में रुख़सारों पर मोती-सा पसीना 
तुम भी नमूना देख लो, हुस्न रक़्साँ है उनके पास। 

चाँद हैं वो आसमां के, चकोरों की उन्हें कमी नहीं 
वो हैं सबसे दूर मगर, सारा जहां है उनके पास। 

ख़ामोश लब, झुकी नज़र, न हाथ ही करें कोई इशारा 
कहें मगर बहुत कुछ, अनोखा अंदाज़े-बयां है उनके पास। 

मालूम नहीं यह, हमसफ़र बन पाएगा उनका या नहीं 
अभी तक तो मेरा यह दिल भी मेहमां है उनके पास। 

ख़ुदा सदा ही सलामत रखे ‘विर्क’ उनके शबाब को 
हम दुआओं की मै डालें, कासा-ए-जां है उनके पास। 

7 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

चाँद हैं वो आसमां के, चकोरों की उन्हें कमी नहीं
वो हैं सबसे दूर मगर, सारा जहां है उनके पास।
....बहुत खूब!

Rohitas Ghorela ने कहा…

बस यही कहना चाहते हैं कि बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ पढने को मिला है.
मेहमां और अंदाजे बयाँ वाला शेर बहुत जोरदार लगे सहसा ही वाह निकल पड़ता है.

आत्मसात 

shashi purwar ने कहा…

वाह वाह सुंदर अरसार बढ़िया गजल बधाई

मन की वीणा ने कहा…

वाह लाजवाब।
उम्दा असरार।

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर

Marmagya - know the inner self ने कहा…

आदरणीय दिलबाग विर्क जी, नमस्ते!
लाजवाब शेर लिखे हैं, आपने!साधुवाद!
मालूम नहीं यह, हमसफ़र बन पाएगा उनका या नहीं
अभी तक तो मेरा यह दिल भी मेहमां है उनके पास।
--ब्रजेन्द्रनाथ

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुंदर सर ।

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