बुधवार, मार्च 27, 2019

दिल है तो दिल बने, क्यों बनता पत्थर है

उनको भी पता है, मुझको भी ख़बर है 
मुहब्बत क्या है, बस एक दर्दे-जिगर है। 

ये नज़र मिली थी उनसे मुद्दतों पहले 
आज तक उस नशे का मुझ पर असर है। 

दिल का चैनो-सकूं लूटकर ले गया जो 
उसको हर जगह ढूँढ़ती मेरी नज़र है।

वो मन्दिर है या मस्जिद, सोचा नहीं कभी 
सबमें है ख़ुदा, ये सोचकर झुकाया सर है। 

क्यों बेचैन हो, किसलिए इतना परेशां 
तुम लूटो मज़ा, ये ज़िंदगी एक सफ़र है। 

धड़के तो सही ‘विर्क’, ये मचले तो सही
दिल है तो दिल बने, क्यों बनता पत्थर है। 

दिलबागसिंह विर्क 
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बुधवार, मार्च 20, 2019

आँखों की आदत है, हुस्न को निहारना

यूँ तो हर पल चाहा है ख़ुद को सुधारना 
मगर ख़ुदा के हाथ है तक़दीर निखारना। 

हर शख़्स से इश्क़ तो नहीं होता, ये तो बस 
आँखों की आदत है, हुस्न को निहारना। 

आसार हैं क़यामत बरपने के, देखो
क्या रंग लाएगा, उनका ज़ुल्फ़ संवारना। 

चेहरे के हाव-भाव देख चुप रह गया मैं 
चाहा था दिलो-जां से तुझको पुकारना। 

कभी आसां तो कभी बड़ा मुश्किल लगे 
किसी को आँखों से दिल में उतारना। 

मैं सफल हुआ या नहीं, मुझे मालूम नहीं 
चाहा तो था ‘विर्क’ महबूब के हाथों हारना। 

दिलबागसिंह विर्क 
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बुधवार, मार्च 13, 2019

अब तो दिल बहला रखा है


चंद रोज़ की मुश्किल थी, अब तो दिल बहला रखा है
तेरे जाने के बाद ग़म को अपने पास बुला रखा है।

जैसे तू ही है मेरी बाँहों में, यूँ समझता हूँ
तेरी याद को कुछ ऐसे सीने से लगा रखा है।

मेरे दिल की हर धड़कन पर लिखा है तेरा नाम
इस बात को छोड़ दें तो मैंने तुझको भुला रखा है।

डर है वक़्त की हवा फिर से सुलगा न दे इसको
कहकर बेवफ़ा तुझे, मुहब्बत को राख में दबा रखा है।

ये तो नहीं कि कभी बेचैन नहीं होता दिल मेरा
मगर देकर वफ़ा का नशा, तूफ़ां को सुला रखा है।

दिल जलेगा, अश्क बहेंगे, चैन लुटेगा, लोग हँसेगे
न मुहब्बत का ज़िक्र छेड़ विर्क, इसमें क्या रखा है।

दिलबागसिंह विर्क 
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बुधवार, मार्च 06, 2019

बहलता नहीं दिल, किसी भी तरह बहलाने से

ख़्यालों की दुनिया में गुम, बेपरवाह इस ज़माने से 
मालूम नहीं हमें, क्यों हैं हम इस क़द्र दीवाने से। 

तुम्हीं बताओ आख़िर कौन-सा तरीक़ा अपनाएँ हम 
बहलता नहीं दिल, किसी भी तरह बहलाने से। 

थक-हार गए अपनी तरफ से कोशिशें करते-करते 
भुला देते तुम्हें, अगर भूल जाते तुम भुलाने से। 

मुहब्बत के ज़ख़्मों ने आसां कर दी है ज़िंदगी 
मज़बूत होता चला गया ये दिल, दर्द उठाने से। 

बड़ी खोखली है शरीफ़ चेहरों की शराफ़त फिर भी 
इसमें हर्ज नहीं, अगर कुछ हासिल हो आज़माने से। 

हर किसी को मालूम है, इस ज़िंदगी की हक़ीक़त 
कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला ‘विर्क’ तेरे बताने से। 

दिलबागसिंह विर्क 
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