बुधवार, मार्च 20, 2019

आँखों की आदत है, हुस्न को निहारना

यूँ तो हर पल चाहा है ख़ुद को सुधारना 
मगर ख़ुदा के हाथ है तक़दीर निखारना। 

हर शख़्स से इश्क़ तो नहीं होता, ये तो बस 
आँखों की आदत है, हुस्न को निहारना। 

आसार हैं क़यामत बरपने के, देखो
क्या रंग लाएगा, उनका ज़ुल्फ़ संवारना। 

चेहरे के हाव-भाव देख चुप रह गया मैं 
चाहा था दिलो-जां से तुझको पुकारना। 

कभी आसां तो कभी बड़ा मुश्किल लगे 
किसी को आँखों से दिल में उतारना। 

मैं सफल हुआ या नहीं, मुझे मालूम नहीं 
चाहा तो था ‘विर्क’ महबूब के हाथों हारना। 

दिलबागसिंह विर्क 
******

6 टिप्‍पणियां:

मन की वीणा ने कहा…

वाह उम्दा ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह सुन्दर। होली की शुभकामनाएं।

shashi purwar ने कहा…

बहुत सुन्दर आपको और आपके पूरे परिवार होली के पावन पर्व व रंगो उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐🌹🙏

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बहुत लाजवाब...

रवीन्द्र भारद्वाज ने कहा…

बहुत खूब आदरणीय
शानदार रचना

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

कभी आसां तो कभी बड़ा मुश्किल लगे
किसी को आँखों से दिल में उतारना।
बेहतरीन ..

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...