तन्हा होने से बुरा है तन्हाइयों का अहसास
बरसती हैं आँखें मगर बुझती नहीं दिल की प्यास |
गम में दिखाई नहीं देती खुशियों की बूँदें इसलिए
खुशियों भरे लम्हें , लगते हैं अक्सर उदास-उदास |
देखना है कितना ऐशो-आराम पाएँगे वो
अपनों को छोडकर गए हैं जो अजनबियों के पास |
जिसे भी ठीक समझा वही गलत निकला , अब तुम
या नतीजा बदल दो , या छोड़ दो लगाना कियास |
क्या बताऊँ अब कि यहाँ कैसा है कौन-सा शख्स
न तो गैरों को पहचानता हूँ मैं , न हूँ खुदशनास |
काबिले-तारीफ है उनका ठोकर खाकर सम्भलना
इश्क में टूटकर ' विर्क ' मैं तो आज तक हूँ बदहवास |
दिलबाग विर्क
* * * * *
कियास --- अनुमान
ख़ुदशनास --- अपने आप को जानने वाला
बदहवास --- उद्विग्न
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9 टिप्पणियां:
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दिलबाग जी ,
वाह ! मन प्रसन्न हो गया इस उम्दा प्रस्तुति से ।
देखना है कितना ऐशो-आराम पाएँगे वो
अपनों को छोडकर गए हैं जो अजनबियों के पास .
क्या खूब अंदाजे बयान है आपका !
बधाई ।
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देखना है कितना ऐशो-आराम पाएँगे वो
अपनों को छोडकर गए हैं जो अजनबियों के पास .
प्रभावी अभिव्यक्ति....बधाई
खूबसूरत चित्र ...खूबसूरत प्रस्तुति...खूबसूरत ग़ज़ल ...
सुंदर गज़ल और बहुत ही गहरे भाव !
bahut hee umdaa gazal.
तन्हा होने से बुरा है तन्हाइयों का अहसास
bahut badhiyaa.
salaam.
तन्हा होने से बुरा है तन्हाइयों का अहसास
बरसती हैं आँखें मगर बुझती नहीं दिल की प्यास .
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल...हर शेर खूबसूरत
पता नहीं पहले क्यूं नही आ सकी...
फॉलो भी कर लिया
वाह ! मन प्रसन्न हो गया इस उम्दा प्रस्तुति से ।
रचना बहुत सुंदर है। पर जनाब ये मुहब्बत भी खुदा की बख्शी हुई क्या नेमत है जो अब तक कोई समझ पाया है और न शायद कभी समझ पाएगा। यहां तो हार भी जीत बन जाती है। बस कुछ यूं कहना चाहूंगा कि-
बुझ जाए तो प्यास का मोल कहां
ये मोहब्बत है नहीं नाप तोल यहां
खुशी दे तो जन्नत बनाए घर को
गम भी दे तो वो भी अनमोल यहां
क्या बताऊँ अब कि यहाँ कैसा है कौन-सा शख्स
न तो गैरों को पहचानता हूँ मैं , न हूँ खुदशनास .
बहुत अच्छा लिखा है ..
मन खुश हो गया आपको पढ़कर ....!!
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