गतांक से आगे
शायद नहीं
क्योंकि
न्याय का अर्थ है
दोषी को सज़ा देना
और सीता तो दोषी नहीं थी
उस पर तो
सिर्फ लांछन लगाया गया था
साधारण जन के द्वारा
लांछन को ही आधार बनाकर
किसी को सज़ा देना
कहाँ का न्याय है ?
यदि यह न्याय है तो
कोई नहीं बच पाएगा दंडित होने से
क्योंकि कोई कठिन काम नहीं है
किसी की तरफ ऊँगली उठाना .
उस साधारण जन ने
सिर्फ ऊँगली ही उठाई थी
सीता की और
कोई तर्क प्रस्तुत नहीं किया था
सीता को अपवित्र सिद्ध करने के लिए
और न्याय देखो
सिद्ध हुई बात को
झूठा बना दिया गया
एक साधारण लांछन के लिए .
{ क्रमश:}
* * * * *
6 टिप्पणियां:
बहुत सही लिखा है |बधाई
आशा
बहुत सुन्दर एवं स तर्क प्रस्तुति.....
निर्दोष सिद्ध सीता को लांछन के आधार पर दण्डित किया गया जो न्याय न होना ही दर्शाता है |
सटीक अभिव्यक्ति
तथ्यात्मक भावाभिव्यक्ति.....
किसी को सज़ा देना
कहाँ का न्याय है---
लांछन को आधार बनाकर ||
सटीक ||
बहुत सटीक लिखा है आपने विर्क जी!
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