बाबा को पहना दी ,कल जिसने सलवार अब तो बनने से रही ,फिर उसकी सरकार । रोज़ रोज़ पिटें लगे बच्चे और लाचार , है कैसा यह लोक मत ,कैसी है सरकार । आंधी में उड़ने लगे नोटों के अम्बार , संसद में होने लगा ये कैसा व्यवहार । और जोर से बोल लो उनकी जय जैकार , सरे आम पीटने लगे मोची और लुहार . संसद में होने लगा यह कैसा व्यवहार , सरे आम होने लगा नोटों का व्यापार । संसद बने रह गई कुर्सी का त्यौहार , कुर्सी के पाए बने गणतंत्री गैंडे चार . भाई विर्क साहब गम नहीं पाप का घड़ा फूटने ही वाला है .कांग्रेस के मुंह में आखिरी निवाला है .बाबा गले की हड्डी बनने वालें हैं .
bahut sundar... vakai prakriti ho yaa maanv atank... janjiwan ko bejaan kar deti hai...bahut samyik rachna.... charchamanch me aane ke liye aapko badhai... mere blog me aapka Amritras swaagat hai.
16 टिप्पणियां:
बहुत सही विचार है |बधाई
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आएं
आशा
नंब नेस पैदा करदेता है आतंक ,प्रकृति का हो या आदमी का .सुन्दर प्रस्तुति .
बाबा को पहना दी ,कल जिसने सलवार
अब तो बनने से रही ,फिर उसकी सरकार ।
रोज़ रोज़ पिटें लगे बच्चे और लाचार ,
है कैसा यह लोक मत ,कैसी है सरकार ।
आंधी में उड़ने लगे नोटों के अम्बार ,
संसद में होने लगा ये कैसा व्यवहार ।
और जोर से बोल लो उनकी जय जैकार ,
सरे आम पीटने लगे मोची और लुहार .
संसद में होने लगा यह कैसा व्यवहार ,
सरे आम होने लगा नोटों का व्यापार ।
संसद बने रह गई कुर्सी का त्यौहार ,
कुर्सी के पाए बने गणतंत्री गैंडे चार .
भाई विर्क साहब गम नहीं पाप का घड़ा फूटने ही वाला है .कांग्रेस के मुंह में आखिरी निवाला है .बाबा गले की हड्डी बनने वालें हैं .
आतंक नाम ही ...डर और भय का है ....
आतंक जनहीन प्राणहीन कर देता है ...
ग्रीष्म का आतंक भी ऐसा ही है ...
बहुत खूब !
thode shabdon se brihad abhivyakti prakharit ho rahi hai . prabhavshali srijan .
हम्म!! रचना पनी बात कह पाई.
सच कहा ... पर प्राकृति के आतंक के लिए कुछ हद तक मानव ही ज़िम्मेवार है ....
Wonderful creation Sir .
आतंक प्रकृति का हो
या मानव का
.................
प्राणहीन कर देता है
जन जीवन को
........................सार्थक भावपूर्ण रचना
कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..
सत्य कहा...
आपने बहुत ही खूबसूरती से अपनी बात कह दी .
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति
बधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सही...वाकई गरमी ने आतंकित कर रखा है.
bahut sundar... vakai prakriti ho yaa maanv atank... janjiwan ko bejaan kar deti hai...bahut samyik rachna....
charchamanch me aane ke liye aapko badhai...
mere blog me aapka Amritras swaagat hai.
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