नामुराद इश्क में जब से चोट खाई है मैंने
अपनी हस्ती रोज़ आग में जलाई है मैंने |
लगती तो है वफा करेगी, मगर करती नहीं
अपनी किस्मत कई दफा आजमाई है मैंने |
दुनिया के बाज़ार में बिका नही बस इतना किया
मैं नहीं कहता , वफा की रस्म निभाई है मैंने |
मरहम नहीं दे सकते तो न सही , दाद तो दो
अपने जख्मों की नुमाइश लगाई है मैंने |
ये बात और है तश्नगी बुझ न पाई इसकी
प्यासे दिल को अश्कों की मै पिलाई है मैंने |
वही दिलो-दिमाग पर हावी हुई वक्त-बेवक्त
सोचा था ' विर्क ' जो सूरत भुलाई है मैंने |
दिलबाग विर्क
* * * * *
18 टिप्पणियां:
best
बेहतरीन गज़ल,हर शेर उम्दा है.
हर शेर बहुत उम्दा....बहुत खूब
खास कर ये वाला
मरहम नहीं दे सकते तो न सही , दाद तो दो
अपने जख्मों की नुमाइश लगाई है मैंने .
वही दिलो-दिमाग पर हावी हुई वक्त-बेवक्त
सोचा था ' विर्क ' जो सूरत भुलाई है मैंने .
rachna bahut achchhi hai .
मेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद.
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग इस ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो हमारा भी प्रयास सफल होगा!
wah.......khubsurat rachana
बेहतरीन ||
very nice ghazal
बेहतरीन गज़ल,हर शेर उम्दा है.
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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वीर ! क्या बात है चोट ऐसी भी जो नुमयास के बाद भी न दिखे , बुरा न मानो, ...
मरहम नहीं दे सकते तो न सही , दाद तो दो
अपने जख्मों की नुमाइश लगाई है मैंने .
कहाँ से लाये इतने जज्बात सारे, कुछ उधार तो दे दो
अतिशय प्रशंसनीय सृजन , बहुत शुभ कामनाएं /
बेहतरीन .
ये बात और है तश्नगी बुझ न पाई इसकी
प्यासे दिल को अश्कों की मै पिलाई है मैंने .
बहुत खूबसूरत गज़ल
दुनिया के बाज़ार में बिका नही बस इतना किया
मैं नहीं कहता , वफा की रस्म निभाई है मैंने .
खूबसारत ग़ज़ल....
बहुत सुन्दर...
सादर...
बेहतरीन और उम्दा गजल
achchi ghazal.
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
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