ज़हर
धर्मों के विरुद्ध
धर्मों में,
जातियों के विरुद्ध
जातियों में,
इंसानों के विरुद्ध
इंसानों में,
भरा हुआ है ज़हर
फिर भी हम
पूछते हैं एक-दूसरे से
नफरतों का ज़हर
क्यों फैला हुआ है
समाज में ?
* * * * *
10 टिप्पणियां:
सटीक बात ..समाज भी किससे बना है ... यदि हर व्यक्ति अपने में सुधार कर ले तो समाज स्वयं ही सुधर जायेगा
सोचने को विवश करती पोस्ट!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत खूब ....सटीक लेखन ....अब सोच बदलने का वक़्त है ...पर ये सोच कब बदलेगी कोई नहीं जानता
बहुत सार्थक प्रस्तुति, विचारणीय प्रस्तुति
My Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
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सार्थक और प्रासंगिक भी.....
गहरी भावाभिव्यक्ति।
सुंदर प्रस्तुतिकरण।
बहुत बढ़िया और सार्थक लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
नफरतों का ज़हर
क्यों फैला हुआ है
समाज में ?
......सटीक बात
बहुत सुन्दर एवं सटीक पंक्तियाँ ! सच्चाई को आपने बड़े ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है ! ज़बरदस्त प्रस्तुती!
सच्चाई का दर्पण...
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