अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ -
होती गोष्ठियाँ
दिए जाते भाषण
हालात वही
लुटती महिलाएँ
सरे-बाजार
महिलाओं के दिन ।
बदलो सोच
बदल दो हालात
न कहो देवी
न अबला ही मानो
समझो तुम
औरत को औरत ।
मिटाओ भेद
अपनाओ समता
सिर्फ समता
है सम्मान स्त्रीत्व का
बिना इसके
अधूरे आयोजन
न अर्थ कोई
महिला दिवस का ।
छोड़ो दिखावा
हों प्रयास सार्थक
यही फर्ज़ सबका ।
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13 टिप्पणियां:
achha likha hai.
sadar
neeraj 'neer'
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
बहुत सुंदर और सही बात की आपने .....
Great lines...very impressive !
Thanks.
सौ टका सही बात ...
sundar bhaw !
सही लिखा...सिर्फ आयोजनों से कुछ नहीं होता...कुछ सार्थक प्रयास जरूरी है|
कथनी और करनी के अंतर को मिटाना होगा...
बहुत बढ़िया...
साथक रचना
बिलकुल सही कहा विर्क sir
नारी को सम्मान दो ,समझो दुर्गा रूप
माता का अवतार वो ,वो है शक्ति स्वरूप
बिल्कुल सही कहा काश ये सब समझ सकें।
बढ़िया है आदरणीय-
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