चंद आंसू चंद अल्फाज लेबल की अंतिम रचना । दरअसल यह मेरा कविता संग्रह ( तुकान्तक परन्तु बहर विहीन ) है और इस संग्रह की रचनाएँ उसी क्रम से यहाँ प्रस्तुत की गई हैं । आपकी प्रतिक्रियाएं मिली , इसके लिए आपका आभार ।
उल्फत बुरी थी या हम, ये सोचा करते हैंक्यों हमदम बने हैं गम, ये सोचा करते हैं ।
दिल के जख्म क्या सचमुच लाईलाज होते हैं ?
लगाएं कौन-सी मरहम, ये सोचा करते हैं ।
दगाबाज लगे है इस जमाने का हर शख्स
किसको कहें अब सनम, ये सोचा करते हैं ।
यादों के जो पल सजा रखे हैं जहन में वो
शरारे हैं या शबनम, ये सोचा करते हैं ।
जिस बेवफा से वास्ता नहीं, उसे याद कर
क्यों होती है आँख नम, ये सोचा करते हैं ।
कमी मेरी चाहत में थी या तकदीर में
विर्क मेरे क्यों न हुए तुम, ये सोचा करते हैं ।
दिलबाग विर्क
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4 टिप्पणियां:
जिस बेवफा से वास्ता नहीं, उसे याद कर
क्यों होती है आँख नम, ये सोचा करते हैं ।
waah bahut acchha ...yahin dil ke aage majboor ho jaate hain .....
जिस बेवफा से वास्ता नहीं, उसे याद कर
क्यों होती है आँख नम, ये सोचा करते हैं ।
--dil to pagal hai Dilbag bhai,
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सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
सर,
बहुत सुंदर गजल पेश की है आपने.
धन्यवाद,
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