आम आदमी
महज एक खबर है
अख़बारों के लिए
जब वह रोता है
बेमौत मरता है
तब वह छपता है
आम आदमी
महज एक मुद्दा है
सरकारों के लिए
वह जिन्दा है
सरकार की
नीतियों के कारण
वह मरने को मजबूर है
दूसरी पार्टियों के
घोटालों के कारण
सरकार और अख़बार
चलते हैं
कॉर्पोरेट घरानों के बलबूते
कॉर्पोरेट घराने
चूसते हैं खून
आम आदमी का
इसलिए
सरकारों और अख़बारों को
कोई लेना-देना नहीं
आम आदमी से
आम आदमी तो
महज एक खबर है
जो बासी हो जाती है
अगले ही दिन
आम आदमी तो
महज एक मुद्दा है
जो उछलता है
सिर्फ चुनावों में
और फिर खो जाता है
अज्ञातवास में
अगले पाँच सालों तक ।
दिलबाग विर्क
********
महज एक खबर है
अख़बारों के लिए
जब वह रोता है
बेमौत मरता है
तब वह छपता है
आम आदमी
महज एक मुद्दा है
सरकारों के लिए
वह जिन्दा है
सरकार की
नीतियों के कारण
वह मरने को मजबूर है
दूसरी पार्टियों के
घोटालों के कारण
सरकार और अख़बार
चलते हैं
कॉर्पोरेट घरानों के बलबूते
कॉर्पोरेट घराने
चूसते हैं खून
आम आदमी का
इसलिए
सरकारों और अख़बारों को
कोई लेना-देना नहीं
आम आदमी से
आम आदमी तो
महज एक खबर है
जो बासी हो जाती है
अगले ही दिन
आम आदमी तो
महज एक मुद्दा है
जो उछलता है
सिर्फ चुनावों में
और फिर खो जाता है
अज्ञातवास में
अगले पाँच सालों तक ।
दिलबाग विर्क
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2 टिप्पणियां:
बहुत खुब,
आम आदमी बेचारा क्या करे।
बिल्कुल सही व्याख्या आम की।
bahut khoob.......
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