घर में
पत्नी और बच्चों की फरमाइशें
दफ्तर में
बॉस के आदेश
इन्हीं की पालना करते रहना ही
क्या नियति है आदमी की
कोल्हू के बैल की तरह
एक धुरी पर घूमते रहना ही
क्या मकसद है जीवन का
अगर नहीं तो
क्या उचित है
आवारा सांड बन
जगह - जगह मुँह मारना
क्या कोई मध्यम मार्ग भी होता है
कोल्हू के बैल
और आवारा सांड के बीच
तलाश जारी है
मध्यम मार्ग की
लेकिन नियंत्रण कहाँ है
बुलेट ट्रेन - सी दौड़ती उम्र पर |
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3 टिप्पणियां:
कुछ frustration सी है जो और कोई दूसरा नहीं सुलझेगा.
कथन भी है बुलेट ट्रेन सा , झरने सा बहता हुआ , बधाई
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