चाँद देखता चाँद
प्रेम में पगा
चाँद देखता चाँद
मांगता दुआ |
व्रत का व्रत
मजबूत रहेगी
प्रीत की डोर |
व्रत चौथ का
एक तपस्या ही है
व्यर्थ क्यों जाए ?
कुछ भी न हो
भले ये आडम्बर
प्रीत तो देखो !
देख रहा है
सुहाग का उत्सव
चौथ का चाँद |
दिलबागसिंह विर्क
******
1 टिप्पणी:
'कुछ भी न हो
भले ये आडम्बर
प्रीत तो देखो !
यही यथार्थ है|'
एक टिप्पणी भेजें