भले ही तुम बरसों तक जारी अपना सफ़र रखना
पीछे इंतज़ार है तुम्हारा, थोडा ख्याल इधर रखना |
कभी दुश्मन बनकर लूटें, कभी दोस्त बनकर लूटें
बड़े शातिर हैं ये लोग, इन लोगों पर नज़र रखना |
तुम्हारे पहलू में है भले मगर ये तुम्हारा न रहेगा
हसीनों की महफिल में हो, दिल की खबर रखना |
नफ़रत के दौर में माना मुहब्बत कुछ नहीं मगर
आँखों के सामने सदा मुहब्बत के मंजर रखना |
सुना है बहुत ताकतवर हो, कोई नहीं तुम-सा
हो सके तो दिल में ख़ुदा का थोड़ा डर रखना |
भले हर रोज छू लिया करो शोहरतों के नए शिखर
थक हार कर लौटना होगा, ' विर्क ' अपना घर रखना |
दिलबागसिंह विर्क
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सांझा संग्रह - 100 क़दम
सम्पादक - अंजू चौधरी, मुकेश सिन्हा
1 टिप्पणी:
वाह!
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