चल यूं ही कुछ कर
समय व्यतीत करने के लिए
या फिर समय खराब करने के लिए
आखिर सब यही तो कर रहे हैं
कोई प्रयोग के नाम पर
कोई विचारधारा के नाम पर
और कुछ नहीं कर सकता तो
कलम घसीट
लोग राजनेता बने हुए हैं
समाजसेवक बने हुए हैं
धर्म गुरु बने हुए हैं
इन यूं ही के कामों से
क्या पता तू भी बन जाए कवि कभी ।
दिलबागसिंह विर्क
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4 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को "समय व्यतीत करने के लिए" (चर्चा अंक-3808) पर भी होगी।
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श्री गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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वाह
वाह
वाह!बेहतरीन सृजन सर।
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