बुधवार, नवंबर 23, 2016

बस यूं ही

चल यूं ही कुछ कर
समय व्यतीत करने के लिए
या फिर समय खराब करने के लिए
आखिर सब यही तो कर रहे हैं 
कोई प्रयोग के नाम पर
कोई विचारधारा के नाम पर
और कुछ नहीं कर सकता तो
कलम घसीट 
लोग राजनेता बने हुए हैं
समाजसेवक बने हुए हैं
धर्म गुरु बने हुए हैं 
इन यूं ही के कामों से
क्या पता तू भी बन जाए कवि कभी ।

दिलबागसिंह विर्क 
*****

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को    "समय व्यतीत करने के लिए"  (चर्चा अंक-3808)    पर भी होगी। 
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श्री गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
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anita _sudhir ने कहा…

वाह

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

अनीता सैनी ने कहा…

वाह!बेहतरीन सृजन सर।

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