बुधवार, नवंबर 29, 2017

जो झूठा होता है, वही बात बनाता है अक्सर

मेरे ख़्वाबों में तेरा चेहरा मुसकराता है अक्सर 
ग़म पागल दिल पर हावी हो जाता है अक्सर।

सच को कब ज़रूरत पड़ी किन्हीं बैसाखियों की 
जो झूठा होता है, वही बात बनाता है अक्सर ।

लाठी वाले जीतते रहे हैं यहाँ पर हर युग में 
इतिहास का हर पन्ना यही क़िस्सा सुनाता है अक्सर।

भले ही दामन भरा हो ख़ुशियों से, मगर ये सच है 
दर्द का लम्हा सबको अपने पास बुलाता है अक्सर।

जो हो चुके पत्थर वे क्या जाने अहमियत जज़्बातों की 
दिल तो दिल है ‘विर्क’, रोता है, तड़पाता है अक्सर।

दिलबागसिंह विर्क
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9 टिप्‍पणियां:

Madabhushi Rangraj Iyengar ने कहा…

मजा आ गया विर्क जी

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

'एकलव्य' ने कहा…

बहुत ख़ूब ! आदरणीय

NITU THAKUR ने कहा…

बेहतरीन

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत लाजवाब....

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय /आदरणीया आपको अवगत कराते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हिंदी ब्लॉग जगत के 'सशक्त रचनाकार' विशेषांक एवं 'पाठकों की पसंद' हेतु 'पांच लिंकों का आनंद' में सोमवार ०४ दिसंबर २०१७ की प्रस्तुति में आप सभी आमंत्रित हैं । अतः आपसे अनुरोध है ब्लॉग पर अवश्य पधारें। .................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

'एकलव्य' ने कहा…

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Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

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बहुत सुन्दर

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