रोते हुए चेहरों पर बनावटी मुस्कान
आज के आदमी की, बस यही पहचान ।
कैसी बेबसी लिख दी खुदा ने तकदीर में
पिंजरे में रहकर भरना सपनों की उड़ान ।
लफ्जों के सिवा कुछ फर्क नहीं इनमें बस
एक चीज़ के दो नाम हैं - इंसान , हैवान ।
अपनी ताकत का लोहा मनवाया उससे
जब कभी किसी को मिला कोई बेजुबान ।
अहसान फरामोशी फितरत है जमाने की
गर खुश रहना है तो छोडो करना अहसान ।
अब वक्त नहीं रहा हर किसी पे ऐतबार का
मगर ' विर्क ' तुम रहे सदा नादान के नादान ।
दिलबाग विर्क
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15 टिप्पणियां:
कैसी बेबसी लिख दी खुदा ने तकदीर में
पिंजरे में रहकर भरना सपनों की उड़ान
एहसान फरामोश होना तो जमाने की फितरत है फिर भी एहसान समझ कर न सही सहायता समझकर तो करना ही चाहिए...
बहुत अच्छे भाव....
दिल को छूती हुई बढ़िया गजल!
बढ़िया गजल ...
अहसान फरामोशी फितरत है जमाने की
गर खुश रहना है तो छोडो करना अहसान ....
सुन्दर तथा गहरे भाव !
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
गम्भीर वैचारिक सोच से उद्भूत एक सुंदर कविता !
आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !
नए चर्चा कार के मंच पर आपका स्वागत है जनाब !खुबसुरत कलाम है
अपनी ताकत का लोहा मनवाया उससे
जब भी कभी किसी को मिला कोई बेजुबान .
yahi hota aaya hai
अहसान फरामोशी फितरत है जमाने की
गर खुश रहना है तो छोडो करना अहसान
क्या बात कही है.बिना स्वार्थ किसी के लिए कुछ करने में जो खुशी मिलती है उसका कोई जोड़ नहीं.
अब वक्त नहीं रहा हर किसी पे ऐतबार का......100% correct.
वाह, क्या खूब कहा!!
खुबसुरत कलाम ...
अहसान फरामोशी फितरत है जमाने की
गर खुश रहना है तो छोडो करना अहसान .
अब वक्त नहीं रहा हर किसी पे ऐतबार का
मगर ' विर्क ' तुम रहे सदा नादान के नादान .aaj ke jamaane ki sachchi bayaan karati hui.adbhut rachanaa.badhaai aapko.
please visit my blog and leave a comments also.aabhaar.
खूबसूरत "आगज़ल"।
बेह्द उम्दा और दिल को छू जाने वाली गज़ल्।
लफ्जों के सिवा कुछ फर्क नहीं इनमें बस
एक चीज़ के दो नाम हैं - इंसान , हैवान .
poori gazal kabiletareef hai...
bahut khoob !
***punam***
bas yun...hi..
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