हाइकु - 4
समर्पण
आँखों में आँसू
दिल मेरा बेचैन
कारण तू है .
तुम्हें पा लिया
अब क्या पाना बाकी
तुम्हीं बताओ ?
तेरा हो जाऊँ
मैं तन से , मन से
और क्या चाहूँ ?
तुझको पा लूँ
खुद को मिटा डालूँ
चाहत मेरी .
सर्दी में धूप
वैसे ही सुहाती है
जैसे तू मुझे .
मैं कुछ नहीं
मेरा कुछ भी नहीं
बस तू ही तू .
* * * * *
3 टिप्पणियां:
अच्छी लगी रचना ।
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !!
बहुत ही अच्छे लिखे हैं..
सर्दी में धूप
वैसे ही सुहाती है
जैसे तू मुझे ....
lovely lines Dilbag ji . Wonderfully expressed creation .
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