टहनियों से फूल
स्वार्थी दुनिया .
संवाद कर
असहमति पर
विवाद नहीं .
करते सभी
मर्म पर प्रहार
चूकें न कभी .
हारते सदा
ये बादल सूर्य से
जिद्द न छोड़ें .
चांदी काटना
सत्ता का मकसद
मेरे देश में .
नेता सेवक
चुनावों के दौरान
फिर मालिक .
जीओ तो ऐसे
न डरना किसी से
न ही डराना .
कितना थोथा
बादल का घमंड
हवा के आगे .
आओ बचाएं
रिश्तों में गर्माहट
प्यार दिलों का .
पिघलाएगी
रिश्तों पे जमी बर्फ
प्यार की आंच .
* * * * *
8 टिप्पणियां:
अक्षर वाणी
भाव मनभावन
सीधा संवाद ... !
संवाद कर
असहमति पर
विवाद नहीं ....
Wonderful !
.
गहन अर्थों से परिपूर्ण हाइकू।
बधाई स्वीकार करें।
पिघलाएगी
रिश्तों पे जमी बर्फ
प्यार की आंच .
...sach pyar mein bahut taakat hoti hai..
bahut sundar haayaku..
जीओ तो ऐसे
न डरना किसी से
न ही डराना .
करते सभी
मर्म पर प्रहार
चूकें न कभी .
bahut khoob....!!
***punam***
"bas yun...hi.."
शिल्प और कथ्य दोनों लिहाज़ से सभी बढ़िया हाइकु.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
वाह बहुत सुन्दर !
ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
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