बुधवार, जून 08, 2011

अगज़ल - 20

          टूटकर बिखर जाऊं , इतना न तडपा साकी 
          जिद्द छोड़कर घूँट - दो - घूँट पिला साकी .

          छीन ले होश  मेरा , कर दे मदहोश मुझे  
          दूंगा फिर तुझे मैं , उम्र भर दुआ साकी . 

          अभी नजर प्यासी है , अभी दिल भरा नहीं 
          न चेहरा अपना  जुल्फों में छुपा साकी .

          याद रखना , सब्र की भी हद्द होती है 
          थोडा चैन भले ही लेना चुरा साकी .

          जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं 
          होता  है  तो  होने  दे  हादसा  साकी .

          दोस्त कैसा , दोस्ती का दुश्मन है ' विर्क '
          उस काफिर का नाम न जुबां पे ला साकी .

                             * * * * * 

16 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .....

क्या बात है... दिल के दर्द को अपनी कलम में उतार दिया आज आपने
बहुत खुद...दर्द भरी पेशकश

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

याद रखना , सब्र की भी हद्द होती है
थोडा चैन भले ही लेना चुरा साकी .

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल...हर शेर लाजवाब....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

याद रखना , सब्र की भी हद्द होती है
थोडा चैन भले ही लेना चुरा साकी .

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .
Bahut sunder panktiyan.....

Shabad shabad ने कहा…

kubsurat bhavon ko shabdon me utaar diya!

Asha Lata Saxena ने कहा…

दिल का दर्द बयां करती सुंदर भाव पूर्ण रचना |बधाई
आशा

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

दिलबाग जी

ज़िंदगी में सुकून नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी


बढ़िया !

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह बहुत खूबसूरत इसी पर आपकी नज़र चंद शेर अर्ज़ कर रही हूँ

आज मुझ से मुझे मिला साकी
जाम तो हाथ सेपिला साकी

कौन मेरी सुने बता तुझ बिन
तू ही तो है मेरा खुदा साकी

रात तन्हा कसक उठी दिल मे
दर्द दिल का जरा मिटा साकी

लड़खड़ाता हूं, गिर न जाऊं मैं
थाम ले हाथ तो बढा साकी

आखिरी साँस तक चलें हम यूँ
वो जो बीता, उसे भुला साकी

छोड कर चल दिया मिला जो भी
तू ही तन्‍हार्इ से बचा साकी

क्या पता वक्त ये मिले न मिले
आज महफिल जरा सजा साकी

हादसे तो बड़े नहीं थे पर
फिर भी टूटा है हौसला साकी
शुभकामनायें।

ZEAL ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल है दिलबाग जी ।

मदन शर्मा ने कहा…

याद रखना , सब्र की भी हद्द होती है
थोडा चैन भले ही लेना चुरा साकी .

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .
बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

Dr Varsha Singh ने कहा…

ज़िंदगी में सुकून नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी

बहुत अच्छी ग़ज़ल है...। मेरी बधाई...।

Udan Tashtari ने कहा…

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .


-वाह!! बहुत खूब...आनन्द आया.

Udan Tashtari ने कहा…

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .


-वाह! बहुत खूब!! आनन्द आया.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .

दोस्त कैसा , दोस्ती का दुश्मन है ' विर्क '
उस काफिर का नाम न जुबां पे ला साकी .

सभी शेर एक से बढ़कर एक..... वाह! क्या लाजवाब ग़ज़ल कही है.
बहुत ख़ूब !

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

जिंदगी में सकूं नाम की कोई चीज़ नहीं
होता है तो होने दे हादसा साकी .

वाह क्या बात है !

Rachana ने कहा…

दोस्त कैसा , दोस्ती का दुश्मन है ' विर्क '
उस काफिर का नाम न जुबां पे ला साकी .
sunder sher puri gazal hi khas hai lajavab hai
rachana

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