रविवार, सितंबर 25, 2011

अग़ज़ल - 25

मेरी जिन्दगी किस मोड़ पर ला दी तूने 
ग़म को रू-ब-रू करके, ख़ुशी छुपा दी तूने |
मैंने पूछा था तुझसे अपनी वफा़ का हश्र 
मेरी  बात  क्यों  हँसी  में  उड़ा  दी  तूने |

तू वफा़ करेगा , ये वायदा भी करना था 
सुना  है  लम्बी  उम्र  की  दुआ  दी  तूने |

माना ज़माने की रस्में निभानी थी मगर 
क्यों  रस्में  मुहब्बत  की  भुला  दी  तूने |

अब मुकद्दर के फैसलों का जिक्र न छेड़ 
लगानी  थी  जो  आग  वो  लगा  दी  तूने |

काश ! ' विर्क ' मिटा देता मेरा वजू़द भी 
रेत  पर  बनाकर  तस्वीर  मिटा  दी  तूने |

दिलबाग विर्क 
* * * * *    

11 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

आसमान की ओर ताककर हँसे बस इसलिए --
ख़ुशी छुपा दी जिसकी, वो जिए तो कैसे जिए ??

फिर देते हो लम्बी उम्र की दुआ ताकि--
ले सको मजा सालों तलक, खूब खलिए ||

तुने जो भुलाई मुहब्बत की रस्में सारी--
मौका मिलते ही करूँगा तेरा क़त्ल छलिये ||

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

तू वफा़ करेगा , ये वायदा भी करना था
सुना है लम्बी उम्र की दुआ दी तूने .

वाह! उम्दा कहन विर्क भाई...
सादर...

Bharat Bhushan ने कहा…

भई वाह खूब ग़ज़ल कही है आपने. खूबसूरत.

shyam gupta ने कहा…

अच्छी हैं गज़लें भाव भी अच्छे हैं श्याम ,
गज़ल को अगज़ल कहा ये क्यों किया तूने ||

नीरज द्विवेदी ने कहा…

Bahut sundar
My Blogs:
Life is just a Life
My Clicks...
.

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल

त्रिवेणी ने कहा…

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

मैंने पूछा था तुझसे अपनी वफा़ का हश्र
मेरी बात क्यों हँसी में उड़ा दी तूने .
वाह !!! दिलबाग जी ,क्या बेमिसाल और उम्दा गज़ल लिखी है.
हर शेर दिल को छू गया.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…





आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

mridula pradhan ने कहा…

bahot achche......

Pallavi saxena ने कहा…

रेत पर बनाकर तस्वीर क्यूँ मिटा दी तूने ... वाह क्या बात है बहुत खूब
समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को हम सब कि और से नवरात्र कि हार्दिक शुभकामनायें...
.http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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