छूटता जा रहा है हंसते - खेलते जीने का फलसफा
सियासत की छोडो, अब मोहब्बत में भी मिलता है दगा ।
दस्तूर इस जमाने के देखकर बड़ा हैरान हूँ मैं
पास-पास रहने वाले लोगों में है कितना फासिला ।
चेहरा जिसका मासूम था , लगता था जो बड़ा भला ।
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
प्यार खुशियाँ देगा , ये वहम तो कब का उड़ चुका है
अब देखना ये है , मैं कब तक निभाता रहूँगा वफा ।
बड़ा गम उठाया है मैंने विर्क हकीकत बयाँ करके
क्या मिला बोलकर, अब तो सोचता हूँ क्यों न चुप रहा ।
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15 टिप्पणियां:
बड़ा गम उठाया है मैंने विर्क हकीकत बयाँ करके
क्या मिला बोलकर, अब तो सोचता हूँ क्यों न चुप रहा
....वाह क्या बात है!
वाह जी वाह........
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
बहुत बढ़िया अगज़ल............
अनु
दस्तृर इस जमाने का देखकर
बड़ा हैरान हुं मैँ
पास पास रहने वाले
लोगोँ में है
कितना फासला ।
....बहुत सुंदर पक्तियां .....!
वाह ...बहुत खूब।
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
लाज़वाब!
टिपण्णी को एक नज्म के द्वारा देना चाहताहूँ-
" तासीर , तारिक की भी होती है उदय ,
चाँद पैदा करने हुनर रखता है "
सिद्दत से लिखी गयी गजल .....
उम्दा ग़जल
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
Virk sahab shandaar gajal:)
शैर सारे इस ग़ज़ल के आगे बढ़के खुद बोलते हैं ,पूरी ज़बान खोलते हैं .बधाई स्वीकार करें .
कृपया यहाँ भी पधारें रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_2612.html
मार -कुटौवल से होती है बच्चों के खानदानी अणुओं में भी टूट फूट
Posted 26th April by veerubhai
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.html
बहुत खूब .... अच्छी गजल
इंसान को इंसानियत का पता बताती खूबसूरत रचना |
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
वाह बेहद खूबसूरत लेखनी ...
बेहतरीन गजल ।
व्वाहहहहहह
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
वाह!!!!
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