मंगलवार, अप्रैल 24, 2012

अगजल - 39

छूटता जा रहा है हंसते - खेलते जीने का फलसफा 
सियासत की छोडो, अब मोहब्बत में भी मिलता है दगा ।

दस्तूर इस जमाने के देखकर बड़ा हैरान हूँ मैं
पास-पास रहने वाले लोगों में है कितना फासिला ।
कैसे दिल को समझाऊं , शातिर था वो दिलो-दिमाग से
चेहरा जिसका मासूम था , लगता था जो बड़ा भला ।

चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।

प्यार खुशियाँ देगा , ये वहम तो कब का उड़ चुका है
अब देखना ये है , मैं कब तक निभाता रहूँगा वफा ।

बड़ा गम उठाया है मैंने विर्क हकीकत बयाँ करके   
क्या मिला बोलकर, अब तो सोचता हूँ क्यों न चुप रहा ।

********************

15 टिप्‍पणियां:

Aruna Kapoor ने कहा…

बड़ा गम उठाया है मैंने विर्क हकीकत बयाँ करके
क्या मिला बोलकर, अब तो सोचता हूँ क्यों न चुप रहा
....वाह क्या बात है!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह जी वाह........
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।

बहुत बढ़िया अगज़ल............
अनु

surenderpal vaidya ने कहा…

दस्तृर इस जमाने का देखकर
बड़ा हैरान हुं मैँ
पास पास रहने वाले
लोगोँ में है
कितना फासला ।
....बहुत सुंदर पक्तियां .....!

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत खूब।

वाणी गीत ने कहा…

चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
लाज़वाब!

udaya veer singh ने कहा…

टिपण्णी को एक नज्म के द्वारा देना चाहताहूँ-
" तासीर , तारिक की भी होती है उदय ,
चाँद पैदा करने हुनर रखता है "
सिद्दत से लिखी गयी गजल .....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

उम्दा ग़जल
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Virk sahab shandaar gajal:)

virendra sharma ने कहा…

शैर सारे इस ग़ज़ल के आगे बढ़के खुद बोलते हैं ,पूरी ज़बान खोलते हैं .बधाई स्वीकार करें .

कृपया यहाँ भी पधारें रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_2612.html
मार -कुटौवल से होती है बच्चों के खानदानी अणुओं में भी टूट फूट
Posted 26th April by veerubhai
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.html

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब .... अच्छी गजल

Minakshi Pant ने कहा…

इंसान को इंसानियत का पता बताती खूबसूरत रचना |

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।


वाह बेहद खूबसूरत लेखनी ...

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बेहतरीन गजल ।

yashoda Agrawal ने कहा…

व्वाहहहहहह

Sudha Devrani ने कहा…


चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
वाह!!!!

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