शनिवार, मई 26, 2012
संवाद करो ( हाइकु )
स्थान:
सिरसा, हरियाणा, भारत
रविवार, मई 20, 2012
अग़ज़ल - 40
क्या कीमत है फूल की गर वो महकना छोड़ दे ।
माना कि बहुत जालिम है सैयाद यहाँ का मगर
इतनी बेबसी भी क्या कि बुलबुल चहकना छोड़ दे ।
हर किसी के नसीब में यहाँ चाँद नहीं होता
फिर गिला कैसा, नसीब की बात कहना छोड़ दे ।
लम्बा सफर है जिन्दगी का, हमसफर मिलते रहेंगे
किसी के इन्तजार में, हर मोड़ पर रुकना छोड़ दे ।
जो मझधार में छोड़ गए वो दोस्त ही कब थे
ऐसे लोगों की याद में तू दहकना छोड़ दे ।
सिर्फ आंसू बहाना ही मकसद नहीं है जीने का
दिल का कहना मानकर विर्क बहकना छोड़ दे ।
सिर्फ आंसू बहाना ही मकसद नहीं है जीने का
दिल का कहना मानकर विर्क बहकना छोड़ दे ।
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स्थान:
सिरसा, हरियाणा, भारत
शनिवार, मई 12, 2012
जीवहत्या क्यों ?( हाइकु )
स्थान:
सिरसा, हरियाणा, भारत
बुधवार, मई 02, 2012
जिंदगी के आघात ( कविता )
चुप रहूँ या कुछ कहूं
दुविधा सदा रही है सामने ।
चुप रहने का अर्थ हैं -
अन्याय को होते देखना
जो खामोश सहमति ही है
अन्याय की ।
कुछ कहने का अर्थ है -
मुसीबतें मोल लेना
अपना चैन खोना ।
शायद इसीलिए
कहा जाता है जिन्दगी को
दो धारी तलवार
जो जख्म देती है
आहत करती है ।
दुर्भाग्यवश
हर आदमी
जख्मी है
आहत है
इस जिन्दगी के
आघातों से ।
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लेबल:
निर्णय के क्षण (कविताएँ)
स्थान:
सिरसा, हरियाणा, भारत
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