इतना बेगानापन दिखाओगे, सोचा न था
मेरी हार का जश्न मनाओगे, सोचा न था ।
तड़पने, आहें भरने का माद्दा तो था मगर
तुम खून के आंसू रुलाओगे, सोचा न था ।
ऐतबार के बिना कब कटे जिन्दगी का सफर
हर मोड़ पर हमें आजमाओगे, सोचा न था ।
सोचा था, वा'दे वफा के हैं पत्थर पर लकीर
इन्हें रेत की मानिंद उड़ाओगे, सोचा न था ।
दुश्मन न थे, हम तो आपकी ख़ुशी से खुश थे
राजे-दिल हमसे छुपाओगे , सोचा न था ।
बीता हुआ हर लम्हा निकाल दिया जिन्दगी से
हमें विर्क इस कद्र भुलाओगे , सोचा न था ।
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9 टिप्पणियां:
वाह ......
बेहतरीन अगज़ल....
सादर
भावपूर्ण गज़ल
शब्द छोटे पड़ रहे हैं तारीफ़ के लिए दिली दाद कबूल करें इतनी लाजबाब ग़ज़ल के लिए
ऐतबार के बिना कब कटे जिन्दगी का सफर
हर मोड़ पर हमें आजमाओगे, सोचा न था ।
बेहतरीन गज़ल,वाह!!!!!!!!!
बेहतरीन गज़ल......
वाह !!!
लाजवाब ग़ज़ल...
सभी शेर बेहतरीन...
कहा मैंने इस दिल से ,इसे याद रख
उन्हें तुमसे नफ़रत हैं ,उल्फत नहीं |
लाज़वाब है भाई
ऐतबार के बिना कब कटे जिन्दगी का सफर
हर मोड़ पर हमें आजमाओगे, सोचा न था ।
wahhhh.....bhavnatmak prastuti ke lie aapko hardik dhanyavad.
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