रविवार, सितंबर 09, 2012

अगजल - 45

          प्यार प्यार न रहेगा, सनम छूट जाएगा 
          ' मैं ' को पकड़ोगे तो ' हम ' छूट जाएगा ।

          अगर यूं ही बढ़ते गए दिलों के फासले 
          तो एक दिन देखना, तकुल्लम छूट जाएगा ।

          जिन्दा रहना सजा होगा, अगर हाथ से 
          इंसानियत का परचम  छूट जाएगा ।

          ये रास्ते हैं इनकी अहमियत कुछ नहीं 
          खुदा मिला तो दैरो-हरम छूट जाएगा ।

          न तंगदिल बनो लोगो, इस तंगदिली से 
          प्यार का, खुशियों का मौसम छूट जाएगा ।

          ख़ुशी के पीछे दौड़ना छोड़ दो विर्क 
          फिर देखना, पीछे हर गम छूट जाएगा ।

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तकुल्लम  ---- वार्तालाप 
दैरो - हरम ---- काबा और बुतखाना  

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4 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह ...एक बेहतरीन लेखनी ...बहुत खूब

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मैं को पकड़ने से हम छूट जाएगा .... बेहतरीन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ग़ज़ल के सभी अशआर बहुत उम्दा हैं!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत !

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