शुक्रवार, अक्टूबर 25, 2013

फिर याद आया राम है

सुन मुहब्बत दे रही पैगाम है
प्यार ही सबसे नशीला जाम है ।

दिन चुनावों के लगें नजदीक ही

भूल जाते लोग दो दिन बाद ही
सोच ये, हमने कमाया नाम है ।

बिक रहा हर आदमी इस देश का
था नगीना पर बड़ा कम दाम है ।

यूँ खड़े हैं साथ मेरे यार सब
जब जरूरत, कौन आया काम है ।

आबरू के उड़ रहे हैं परखचे
हो रहा अब ये तमाशा आम है ।

' विर्क ' अब हम जी रहे किस दौर में
ये शराफत भी बनी इल्जाम है ।
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मंगलवार, अक्टूबर 22, 2013

उम्र भर कब रहा साथ साया घना


              सीख ले धूप की तल्खियाँ झेलना
              उम्र भर कब रहा साथ साया घना

             बन बवंडर गई देखते - देखते
             आग से तेज है बात का फैलना ।

             हाँ कही जब कभी, जाल खुद बुन लिया
             दाद देना उसे, कर सका जो मना

             हार हिस्सा रहेगी सदा खेल का
             जीत की चाह रखकर भले खेलना ।
          
             तंग है सोच, दिखती नहीं खूबियाँ
             आदतन वो करे सिर्फ आलोचना

             देखने का तरीका बदल तो सही
             खूबसूरत दिखेगा जहां, देखना ।
         
             तोड़ दो , अब जरूरत नहीं जाम की
             बिन पिए आ गया ' विर्क ' गम ठेलना ।

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रविवार, अक्टूबर 20, 2013

लोग बस नारे लगाना जानते

                     
           दर्द औरों का बँटाना जानते

           काश ! यारी हम निभाना जानते।

                     इस तरफ हैं वो कभी उस ओर हैं
                     लोग बस नारे लगाना जानते

           खो गया विश्वास यारो क्या करें
           सब यहाँ पर आजमाना जानते ।

                    दर्द की कोई दवा देते नहीं
                    हुस्नवाले दिल जलाना जानते।

           ईंट-पत्थर के मकां, लो बन गए
           काश ! घर कोई बनाना जानते।

                  हो पसीने की महक जिसमें भरी
                  क्यों नहीं ऐसे कमाना जानते।

           बेवफा कहता न फिर कोई हमें
           ' विर्क ' जो आँसू बहाना जानते ।

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गुरुवार, अक्टूबर 17, 2013

आँख रोए कभी दिल जले

प्यार की राह पर जब चले
आँख रोए कभी दिल जले ।

दिन उगे, शाम या फिर ढले ।

गलतियाँ कुछ तेरी, कुछ मेरी
रात-दिन फिर बढ़े फासिले ।

आदमी एक से ही मिले ।

नोचते लोग कलियाँ जहाँ
फूल कोई वहाँ कब खिले ।

' विर्क ' दरपेश हैं मरहले ।

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सोमवार, अक्टूबर 14, 2013

ये दिल कभी बंजर नहीं होता

    करे पागल, मुहब्बत का असर किस पर नहीं होता
    बड़ा जरखेज है , ये दिल कभी बंजर नहीं होता ।

    कशिश है खास, सादापन सदा तारीफ पा लेता 
    न मानो बेहतर, ये हुस्न से कमतर नहीं होता ।

    बड़ा मुश्किल मगर खुद्दार होना तो जरूरत है
    झुके जो हर किसी के सामने वो सिर नहीं होता ।

    हमें बेखौफ कर देता, मुहब्बत पाक जज्बा है
    करे है इश्क जो, उसको किसी का डर नहीं होता ।

    हजारों चाहने वाले मगर साथी नहीं कोई
    यही तो है नसीब, तवाइफों का घर नहीं होता ।

    मुझे तो पाक दिखता है मिरे महबूब का दर भी
    यहाँ सजदा न हो खुद, वो खुदा का दर नहीं होता ।

    कभी घर ही बने मंदिर, बनाना ' विर्क ' जब चाहें
    जिसे मंदिर कहा, वो भी कभी मंदिर नहीं होता ।

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शुक्रवार, अक्टूबर 04, 2013

अमृतधारा है आशा


आशा से संसार है, रखना दिल में आस 
 मंजिल होगी पास में, करते रहो प्रयास ।
 करते रहो प्रयास , झोंक दो पूरी ताकत 
 जीवन होगा सफल, न टिक पाएगी आफत ।
 मत डालो हथियार, हराती हमें हताशा 
 कहता सबसे 'विर्क', अमृतधारा है आशा ।

दिलबाग विर्क 
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