पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है
प्यार में आँख को अश्क मंजूर है ।
दूरियाँ और नजदीकियाँ झूठ सब
पास पाऊँ तुझे, तू भले दूर है ।
इश्क़ में डूबकर जान पाया यही
हर तरफ छा रहा एक ही नूर है ।
सीरतें सूरतों से सदा बेहतर
हुस्न यूँ ही नशे में हुआ चूर है ।
रात-दिन काम के फिक्र में घूमता
आदमी तो महज एक मजदूर है ।
थूकता था जमाना जिसे देखकर
देख लो शख्स वो आज मशहूर है ।
हाथ से हाथ पर्दा रखे है यहाँ
ये नए दौर का ' विर्क ' दस्तूर है ।
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1 टिप्पणी:
नये दौर में हो गये, नये-नये दस्तूर।
चमक-दमक के साथ में, कृत्रिमता भरपूर।।
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