मंगलवार, जुलाई 29, 2014

पूछती है मेरी वफ़ा मुझे

किस बात की दे रहा सज़ा मुझे 
है क्या गुनाह मेरा, बता मुझे । 
हिम्मत नहीं अब और सहने की 
 रुक भी जा, ऐ दर्द न सता मुझे । 

या ख़ुदा ! अदना-सा इंसान हूँ 
टूट जाऊँगा न आजमा मुझे । 

क्यों चुप रहा उसकी तौहीन देखकर 
ये पूछती है मेरी वफ़ा मुझे । 

आखिर ये बेनूरी तो छटे 
किन्हीं बहानों से बहला मुझे । 

एक अनजाना - सा खौफ हावी है 
अब क्या कहूँ ' विर्क ' हुआ क्या मुझे । 

दिलबाग विर्क 
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काव्य संकलन - प्रतीक्षा रहेगी 
संपादक - जयसिंह अलवरी 
प्रकाशक - राहुल प्रकाशन, सिरगुप्पा { कर्नाटक }
प्रकाशन वर्ष - मार्च 2007 
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7 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Bahut khoob... umdaa hai har sher...!!

Pratibha Verma ने कहा…

हिम्मत नहीं अब और सहने की
रुक भी जा, ऐ दर्द न सता मुझे ।

सुन्दर रचना...

मन के - मनके ने कहा…


ये हर्फ़ नहीं फ़कत दिल के वर्क हैं--वर्क-दर-वर्क

मन के - मनके ने कहा…


ये हर्फ़ नहीं फ़कत दिल के वर्क हैं--वर्क-दर-वर्क

मन के - मनके ने कहा…


ये हर्फ़ नहीं फ़कत दिल के वर्क हैं--वर्क-दर-वर्क

संजय भास्‍कर ने कहा…

हिम्मत नहीं अब और सहने की
रुक भी जा, ऐ दर्द न सता मुझे ।

सुन्दर रचना...!!

Malhotra vimmi ने कहा…

वाह बहुत सुंदर।

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