बनने को तैयार हूँ मैं कर्जदार
दे सकता है तो दे ख़ुशी उधार |
हर शख्स के दिल में दाग़ है यहाँ
अकेला चाँद ही नहीं दाग़दार |
दहशत के बादल हर वक्त छाए रहे
इस मुल्क में कब था मौसम खुशगवार |
ज़िन्दगी की हकीकत है बस यही
चंद खुशियाँ और गम बेशुमार |
आदमियों के धंधों को देखकर
हो रही है आदमियत शर्मसार |
कोई हल नहीं निकले है मसलों का
पुकार सके तो ' विर्क ' खुदा को पुकार |
दिलबाग विर्क
दे सकता है तो दे ख़ुशी उधार |
हर शख्स के दिल में दाग़ है यहाँ
अकेला चाँद ही नहीं दाग़दार |
दहशत के बादल हर वक्त छाए रहे
इस मुल्क में कब था मौसम खुशगवार |
ज़िन्दगी की हकीकत है बस यही
चंद खुशियाँ और गम बेशुमार |
आदमियों के धंधों को देखकर
हो रही है आदमियत शर्मसार |
कोई हल नहीं निकले है मसलों का
पुकार सके तो ' विर्क ' खुदा को पुकार |
दिलबाग विर्क
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काव्य संकलन - प्रतीक्षा रहेगी
संपादक - जयसिंह अलवरी
प्रकाशक - राहुल प्रकाशन, सिरगुप्पा { कर्नाटक }
प्रकाशन वर्ष - मार्च 2007
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8 टिप्पणियां:
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !
सावन का आगमन !
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
sundar sarthak gazal
बेहतरीन ...
बेहतरीन ...
उम्दा ग़ज़ल।
बहुत ही सुन्दर गजल
ज़िन्दगी की हकीकत है बस यही
चंद खुशियाँ और गम बेशुमार |
हर शेर खूबसूरत पर ये भा गया।
बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें...
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