गुरुवार, अक्तूबर 23, 2014

नियम ढूँढना आपका काम है

बेवफाई  तेरी  का  ये  अंजाम  है 
गूँजता महफ़िलों में, मेरा नाम है । 
क्या मिला पूछते हो, सुनो तुम जरा 
इश्क़ का अश्क़ औ' दर्द ईनाम है । 

लो, कई चेहरों से उठेगा नक़ाब 
आ गया अब मेरे हाथ में जाम है । 

हर तरफ दौर है नफरतों का यहाँ 
प्यार का लाज़मी आज पैगाम है । 

बात कहना मेरा काम था, कर दिया 
अब नियम ढूँढना आपका काम है । 

मान जाओ इसे, है हकीकत यही 
बद नहीं ' विर्क ', वो सिर्फ बदनाम है । 

दिलबाग विर्क 
*****

7 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..
(वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो कमेंट देने में सुविधा रहेगी)

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

असुविधा के लिए खेद है लेकिन वर्ड वेरिफिकेशन तो नहीं लगाया हुआ था

Asha Lata Saxena ने कहा…

सुन्दर गजल |

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर !

Unknown ने कहा…

Waah..Lajawaab gazal ....

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत बढिया।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-10-2020) को     "एहसास के गुँचे"  (चर्चा अंक - 3844)    पर भी होगी। 
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
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