मंगलवार, दिसंबर 16, 2014

वक्त खुद सीढ़ी बनेगा

आकाश देता है निमन्त्रण 
हर किसी को 
अपने पास आने का 
अगर सुन सको तो 

अँधेरे तहखानों से भी 
निकलते हैं रास्ते 
बाहर की दुनिया के 
अगर देख सको तो 

जागो
उठाओ कदम 
दृढ़ विश्वास के साथ 
बढ़ो मंज़िल की ओर
वक्त खुद सीढ़ी बनेगा 
तुम्हें शिखर तक ले जाने के लिए 

दिलबाग विर्क 
*****

2 टिप्‍पणियां:

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

रश्मि शर्मा ने कहा…

वाकई....वक्‍त भी हाथ पकड़ खींच लेती है हमें..बस दो कदम हम बढ़ा लें। सुंदर भाव से सजी रचना

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