आकाश देता है निमन्त्रण
हर किसी को
अपने पास आने का
अगर सुन सको तो
अँधेरे तहखानों से भी
निकलते हैं रास्ते
बाहर की दुनिया के
अगर देख सको तो
जागो
उठाओ कदम
दृढ़ विश्वास के साथ
बढ़ो मंज़िल की ओर
वक्त खुद सीढ़ी बनेगा
तुम्हें शिखर तक ले जाने के लिए
दिलबाग विर्क
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2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
वाकई....वक्त भी हाथ पकड़ खींच लेती है हमें..बस दो कदम हम बढ़ा लें। सुंदर भाव से सजी रचना
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